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"उनींदे की लोरी (कविता) / गिरधर राठी" के अवतरणों में अंतर
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साँप सुनें अपनी फुफकार और सो जाएँ | साँप सुनें अपनी फुफकार और सो जाएँ |
12:43, 27 दिसम्बर 2009 का अवतरण
साँप सुनें अपनी फुफकार और सो जाएँ
चींटियाँ बसा लें घर-बार और सो जाएँ
गुरखे कर जाएँ ख़बरदार और सो जाएँ