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"उस जनपद का कवि हूँ (कविता) / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर
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− | उस जनपद का कवि हूँ जो भूखा दूखा है, | + | <poem> |
− | नंगा है, अनजान है, कला--नहीं जानता | + | उस जनपद का कवि हूँ जो भूखा दूखा है, |
− | कैसी होती है क्या है, वह नहीं मानता | + | नंगा है, अनजान है, कला--नहीं जानता |
− | कविता कुछ भी दे सकती है। कब सूखा है | + | कैसी होती है क्या है, वह नहीं मानता |
− | उसके जीवन का सोता, इतिहास ही बता | + | कविता कुछ भी दे सकती है। कब सूखा है |
− | सकता है। वह उदासीन बिलकुल अपने से, | + | उसके जीवन का सोता, इतिहास ही बता |
− | अपने समाज से है; दुनिया को सपने से | + | सकता है। वह उदासीन बिलकुल अपने से, |
− | अलग नहीं मानता, उसे कुछ भी नहीं पता | + | अपने समाज से है; दुनिया को सपने से |
− | दुनिया कहाँ से कहाँ पहुँची; अब समाज में | + | अलग नहीं मानता, उसे कुछ भी नहीं पता |
− | वे विचार रह गये नही हैं जिन को ढोता | + | दुनिया कहाँ से कहाँ पहुँची; अब समाज में |
− | चला जा रहा है वह, अपने आँसू बोता | + | वे विचार रह गये नही हैं जिन को ढोता |
− | विफल मनोरथ होने पर अथवा अकाज में। | + | चला जा रहा है वह, अपने आँसू बोता |
− | धरम कमाता है वह तुलसीकृत रामायण | + | विफल मनोरथ होने पर अथवा अकाज में। |
− | सुन पढ़ कर, जपता है नारायण नारायण।< | + | धरम कमाता है वह तुलसीकृत रामायण |
+ | सुन पढ़ कर, जपता है नारायण नारायण। | ||
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12:50, 27 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
उस जनपद का कवि हूँ जो भूखा दूखा है,
नंगा है, अनजान है, कला--नहीं जानता
कैसी होती है क्या है, वह नहीं मानता
कविता कुछ भी दे सकती है। कब सूखा है
उसके जीवन का सोता, इतिहास ही बता
सकता है। वह उदासीन बिलकुल अपने से,
अपने समाज से है; दुनिया को सपने से
अलग नहीं मानता, उसे कुछ भी नहीं पता
दुनिया कहाँ से कहाँ पहुँची; अब समाज में
वे विचार रह गये नही हैं जिन को ढोता
चला जा रहा है वह, अपने आँसू बोता
विफल मनोरथ होने पर अथवा अकाज में।
धरम कमाता है वह तुलसीकृत रामायण
सुन पढ़ कर, जपता है नारायण नारायण।