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"पिरो दिये मेरे आंसू हवा ने शाख़ों में / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर
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पिरो दिये मेरे आंसू हवा ने शाखों में | पिरो दिये मेरे आंसू हवा ने शाखों में | ||
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भरम बहार का बाक़ी रहा निगाहों में | भरम बहार का बाक़ी रहा निगाहों में | ||
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सबा तो क्या कि मुझे धूप तक जगा न सकी | सबा तो क्या कि मुझे धूप तक जगा न सकी | ||
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कहां की नींद उतर आयी है इन आंखों में | कहां की नींद उतर आयी है इन आंखों में | ||
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कुछ इतनी तेज़ है सुर्ख़ी कि दिल धड़कता है | कुछ इतनी तेज़ है सुर्ख़ी कि दिल धड़कता है | ||
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कुछ और रंग पसे-रंग है गुलाबों में | कुछ और रंग पसे-रंग है गुलाबों में | ||
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सुपुर्दगी का नशा टूटने नहीं पाता | सुपुर्दगी का नशा टूटने नहीं पाता | ||
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अना समाई हुई है वफ़ा की बांहों में | अना समाई हुई है वफ़ा की बांहों में | ||
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बदन पर गिरती चली जा रही है ख़्वाब-सी बर्फ़ | बदन पर गिरती चली जा रही है ख़्वाब-सी बर्फ़ | ||
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खुनक सपेदी घुली जा रही है सांसों में | खुनक सपेदी घुली जा रही है सांसों में | ||
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सबा=सुबह की हवा; पसे-रंग=रंग के पीछे; अना=अहम; सपेदी=सफ़ेदी | सबा=सुबह की हवा; पसे-रंग=रंग के पीछे; अना=अहम; सपेदी=सफ़ेदी | ||
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13:02, 27 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
पिरो दिये मेरे आंसू हवा ने शाखों में
भरम बहार का बाक़ी रहा निगाहों में
सबा तो क्या कि मुझे धूप तक जगा न सकी
कहां की नींद उतर आयी है इन आंखों में
कुछ इतनी तेज़ है सुर्ख़ी कि दिल धड़कता है
कुछ और रंग पसे-रंग है गुलाबों में
सुपुर्दगी का नशा टूटने नहीं पाता
अना समाई हुई है वफ़ा की बांहों में
बदन पर गिरती चली जा रही है ख़्वाब-सी बर्फ़
खुनक सपेदी घुली जा रही है सांसों में
सबा=सुबह की हवा; पसे-रंग=रंग के पीछे; अना=अहम; सपेदी=सफ़ेदी