भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मस्त मेले / आरागों

1,796 bytes added, 10:49, 27 दिसम्बर 2009
|रचनाकार=लुई आरागों
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
हमने देखे साइकिल पर सवार
हमने देखे घोड़ियों के दलाल
हमने देखी ओड़नी वाली नकचढ़ी औरतें
हमने देखे अपनी ही टोपी की फुगनी जला लेने वाले आग बुझानेवाले
हमने देखे कूड़े में फैंके गए शब्द
हमने देखे आड़ से उठे शब्द
हमने देखे मैरी के बच्चों के पाँव
हमने देखीं पीठ भविष्य बतानेवालियों की
<poem>हमने देखीं धुआँ उगलती गाड़ियाँहमने देखे और भी इक्केहमने देखे ऐसे छलिया कि लंबी नाक हो जाए परेशांहमने देखे अट्ठारह कैरेट के सिक्के
'''मस्त मेले'''हमने देखा यहाँ जो दीखता कहीं भीहमने देखीं कुमारियाँ व्यभिचारीहमने देखे बच्चे आवारा हमने देखे लफंगेहमने देखे पुल के नीचे बहते वह जो डूब गए
हमने देखे निट्ठल्ले व्यापारी जूतों के
हमने देखी बुझती चिता से अंडे जाँचने वाली
हमने देखे ध्वस्त होते नैतिक मूल्य
और भागते हुए जीवन से छह-चार-दो
'''मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी
</poem>
 
 
(मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी)
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits