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"उस दिन / शैलेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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उस दिन ही प्रिय जनम-जनम की
 
उस दिन ही प्रिय जनम-जनम की
 
 
साध हो चुकी पूरी !
 
साध हो चुकी पूरी !
 
  
 
जिस दिन तुमने सरल स्नेह भर
 
जिस दिन तुमने सरल स्नेह भर
 
 
मेरी ओर निहारा;
 
मेरी ओर निहारा;
 
 
विहंस बहा दी तपते मरुथल में
 
विहंस बहा दी तपते मरुथल में
 
 
चंचल रस धारा!
 
चंचल रस धारा!
 
 
उस दिन ही प्रिय जनम-जनम की
 
उस दिन ही प्रिय जनम-जनम की
 
 
साध हो चुकी पूरी!
 
साध हो चुकी पूरी!
 
  
 
जिस दिन अरुण अधरों से
 
जिस दिन अरुण अधरों से
 
 
तुमने हरी व्यथाएं;
 
तुमने हरी व्यथाएं;
 
 
कर दीं प्रीत-गीत में परिणित
 
कर दीं प्रीत-गीत में परिणित
 
 
मेरी करुण कथाएं!
 
मेरी करुण कथाएं!
 
 
उस दिन ही प्रिय जनम-जनम की
 
उस दिन ही प्रिय जनम-जनम की
 
 
साध हो चुकी पूरी!
 
साध हो चुकी पूरी!
 
  
 
जिस दिन तुमने बाहों में भर
 
जिस दिन तुमने बाहों में भर
 
 
तन का ताप मिटाया;
 
तन का ताप मिटाया;
 
 
प्राण कर दिए पुण्य--
 
प्राण कर दिए पुण्य--
 
 
सफल कर दी मिट्टी की काया!
 
सफल कर दी मिट्टी की काया!
 
 
उस दिन ही प्रिय जनम-जनम की
 
उस दिन ही प्रिय जनम-जनम की
 
 
साध हो चुकी पूरी!
 
साध हो चुकी पूरी!
  
 
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'''1945 में रचित
 
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1945 में रचित
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10:27, 29 दिसम्बर 2009 का अवतरण

उस दिन ही प्रिय जनम-जनम की
साध हो चुकी पूरी !

जिस दिन तुमने सरल स्नेह भर
मेरी ओर निहारा;
विहंस बहा दी तपते मरुथल में
चंचल रस धारा!
उस दिन ही प्रिय जनम-जनम की
साध हो चुकी पूरी!

जिस दिन अरुण अधरों से
तुमने हरी व्यथाएं;
कर दीं प्रीत-गीत में परिणित
मेरी करुण कथाएं!
उस दिन ही प्रिय जनम-जनम की
साध हो चुकी पूरी!

जिस दिन तुमने बाहों में भर
तन का ताप मिटाया;
प्राण कर दिए पुण्य--
सफल कर दी मिट्टी की काया!
उस दिन ही प्रिय जनम-जनम की
साध हो चुकी पूरी!

1945 में रचित