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उस दिन ही प्रिय जनम-जनम की | उस दिन ही प्रिय जनम-जनम की | ||
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साध हो चुकी पूरी ! | साध हो चुकी पूरी ! | ||
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जिस दिन तुमने सरल स्नेह भर | जिस दिन तुमने सरल स्नेह भर | ||
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मेरी ओर निहारा; | मेरी ओर निहारा; | ||
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विहंस बहा दी तपते मरुथल में | विहंस बहा दी तपते मरुथल में | ||
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चंचल रस धारा! | चंचल रस धारा! | ||
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उस दिन ही प्रिय जनम-जनम की | उस दिन ही प्रिय जनम-जनम की | ||
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साध हो चुकी पूरी! | साध हो चुकी पूरी! | ||
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जिस दिन अरुण अधरों से | जिस दिन अरुण अधरों से | ||
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तुमने हरी व्यथाएं; | तुमने हरी व्यथाएं; | ||
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कर दीं प्रीत-गीत में परिणित | कर दीं प्रीत-गीत में परिणित | ||
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मेरी करुण कथाएं! | मेरी करुण कथाएं! | ||
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उस दिन ही प्रिय जनम-जनम की | उस दिन ही प्रिय जनम-जनम की | ||
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साध हो चुकी पूरी! | साध हो चुकी पूरी! | ||
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जिस दिन तुमने बाहों में भर | जिस दिन तुमने बाहों में भर | ||
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तन का ताप मिटाया; | तन का ताप मिटाया; | ||
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प्राण कर दिए पुण्य-- | प्राण कर दिए पुण्य-- | ||
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सफल कर दी मिट्टी की काया! | सफल कर दी मिट्टी की काया! | ||
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उस दिन ही प्रिय जनम-जनम की | उस दिन ही प्रिय जनम-जनम की | ||
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साध हो चुकी पूरी! | साध हो चुकी पूरी! | ||
− | + | '''1945 में रचित | |
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− | 1945 में रचित | + |
10:27, 29 दिसम्बर 2009 का अवतरण
उस दिन ही प्रिय जनम-जनम की
साध हो चुकी पूरी !
जिस दिन तुमने सरल स्नेह भर
मेरी ओर निहारा;
विहंस बहा दी तपते मरुथल में
चंचल रस धारा!
उस दिन ही प्रिय जनम-जनम की
साध हो चुकी पूरी!
जिस दिन अरुण अधरों से
तुमने हरी व्यथाएं;
कर दीं प्रीत-गीत में परिणित
मेरी करुण कथाएं!
उस दिन ही प्रिय जनम-जनम की
साध हो चुकी पूरी!
जिस दिन तुमने बाहों में भर
तन का ताप मिटाया;
प्राण कर दिए पुण्य--
सफल कर दी मिट्टी की काया!
उस दिन ही प्रिय जनम-जनम की
साध हो चुकी पूरी!
1945 में रचित