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{{KKRachna
|रचनाकार=शैलेन्द्र
|संग्रह=फ़िल्मों के लिए लिखे गीत-2 /शैलेन्द्र
}}
[[Category:गीत]]{{KKCatKavita}}{{KKCatGeet}}<poem>कोई लौटा दे मेरे, बीते हुए दिन - (२)बीते हुए दिन वो हाय, प्यारे पल छिनकोई लौटा दे ...
कोई लौटा दे मैं अकेला तो ना था, थे मेरे साथी कई एक आँधी सी उठी, जो भी था लेके गई आज मैं ढूँढूं कहां, खो गये जाने किधर - २बीते हुए दिनवो हाय, प्यारे पल छिनकोई लौटा दे ...
बीते हुए दिन वो मेरे प्यारे पल-छिन  मेरे ख़्वाबों ख्वाबों के महलनगर, मेरे सपनों के नगरशहर पी लिया जिनके लिएलिये, मैंने जीवन का ज़हर आज मैं ढूंढूँ कहाँ, खो गए जाने किधर बीते हुए दिन वो मेरे, प्यारे पल-छिन  मैं अकेला तो न था, थे मेरे साथी कई इक आंधी-सी उठी, जो भी था ले के गई ऎसे ऐसे भी दिन थे कभी, मेरी दुनिया थी मेरी - २बीते हुए दिन वो मेरेहाय, प्यारे पल-छिनकोई लौटा दे ...</poem>
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