"जन्म दिन मुबारक हो माँ! / भावना कुँअर" के अवतरणों में अंतर
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जन्म दिन मुबारक हो माँ ! | जन्म दिन मुबारक हो माँ ! | ||
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लो माँ… एक साल और बीत गया | लो माँ… एक साल और बीत गया | ||
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ना हो पाया | ना हो पाया | ||
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इस साल भी | इस साल भी | ||
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हमारा मिलन, | हमारा मिलन, | ||
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सोचा था… | सोचा था… | ||
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इस जन्म दिन पर | इस जन्म दिन पर | ||
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मैं तुम्हारे साथ रहूँगी, | मैं तुम्हारे साथ रहूँगी, | ||
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पर मेरी विवशता देखो, | पर मेरी विवशता देखो, | ||
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नहीं आ पाई इस साल भी, | नहीं आ पाई इस साल भी, | ||
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क्योंकि… | क्योंकि… | ||
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मैं निभा रही हूँ | मैं निभा रही हूँ | ||
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उन कसमों को, उन वादों को | उन कसमों को, उन वादों को | ||
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जो तुमने मुझे निभाने को कहा था… | जो तुमने मुझे निभाने को कहा था… | ||
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परिवार के उन दायित्वों को | परिवार के उन दायित्वों को | ||
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जो तुमने मुझे सिखाया था… | जो तुमने मुझे सिखाया था… | ||
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जब मैं विदा हो चली थी | जब मैं विदा हो चली थी | ||
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उस घर से इस घर के लिये | उस घर से इस घर के लिये | ||
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पर माँ ! | पर माँ ! | ||
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मैं माँ और पत्नी के साथ-2 | मैं माँ और पत्नी के साथ-2 | ||
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इक बेटी भी हूँ ना… | इक बेटी भी हूँ ना… | ||
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मुझे भी तुम्हारी याद आती है | मुझे भी तुम्हारी याद आती है | ||
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तुम्हारी वो सुकून भरी गोद | तुम्हारी वो सुकून भरी गोद | ||
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जब मैं टूटती या बिखरती हूँ | जब मैं टूटती या बिखरती हूँ | ||
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पर, फिर लग जाती हूँ | पर, फिर लग जाती हूँ | ||
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निभाने दायित्वों को | निभाने दायित्वों को | ||
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तुम्हारी ही दी हुई | तुम्हारी ही दी हुई | ||
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शिक्षा को | शिक्षा को | ||
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तुम भी तो मुझे याद करती होगी माँ ! | तुम भी तो मुझे याद करती होगी माँ ! | ||
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पर | पर | ||
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तुम भी तो घिरी हो | तुम भी तो घिरी हो | ||
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दायित्वों के घेरे में, | दायित्वों के घेरे में, | ||
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पर, तुम कभी नहीं थकती। | पर, तुम कभी नहीं थकती। | ||
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लेकिन, मैं देख पाती हूँ | लेकिन, मैं देख पाती हूँ | ||
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वो मायूसी | वो मायूसी | ||
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जो मेरे दूर रहने से छा जाती है | जो मेरे दूर रहने से छा जाती है | ||
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तुम्हारी आँखों में | तुम्हारी आँखों में | ||
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पर, माँ ! तुम उदास मत होना | पर, माँ ! तुम उदास मत होना | ||
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शायद अगले साल | शायद अगले साल | ||
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तुम्हारे जन्मदिन पर मैं | तुम्हारे जन्मदिन पर मैं | ||
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तुम्हारे पास होऊँ | तुम्हारे पास होऊँ | ||
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इसी इन्तजार में… | इसी इन्तजार में… | ||
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आज से ही गिनती हूँ दिन… | आज से ही गिनती हूँ दिन… | ||
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३६५ हाँ पूरे ३६५ दिन… | ३६५ हाँ पूरे ३६५ दिन… | ||
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फिर मिलकर काटेगें केक | फिर मिलकर काटेगें केक | ||
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मैं खिलाऊँगी केक का टुकडा तुम्हें | मैं खिलाऊँगी केक का टुकडा तुम्हें | ||
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जो अपनी देश की धरती से दूर रहकर | जो अपनी देश की धरती से दूर रहकर | ||
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नहीं खिला पायी | नहीं खिला पायी | ||
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और तुमने भी तो.. | और तुमने भी तो.. | ||
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मेरे ही कारण | मेरे ही कारण | ||
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केक बनाना ही छोड़ दिया | केक बनाना ही छोड़ दिया | ||
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और छोड़ दिया जन्म दिन मनाना भी | और छोड़ दिया जन्म दिन मनाना भी | ||
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माँ ! अगले साल मनाएँगे जन्म दिन | माँ ! अगले साल मनाएँगे जन्म दिन | ||
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सजायेंगे महफिल | सजायेंगे महफिल | ||
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और तुम | और तुम | ||
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केक बनाकार रखना | केक बनाकार रखना | ||
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और फिर | और फिर | ||
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मेरा इन्तजार करना... | मेरा इन्तजार करना... | ||
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मेरा इन्तजार करना... | मेरा इन्तजार करना... | ||
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14:31, 29 दिसम्बर 2009 का अवतरण
जन्म दिन मुबारक हो माँ !
लो माँ… एक साल और बीत गया
ना हो पाया
इस साल भी
हमारा मिलन,
सोचा था…
इस जन्म दिन पर
मैं तुम्हारे साथ रहूँगी,
पर मेरी विवशता देखो,
नहीं आ पाई इस साल भी,
क्योंकि…
मैं निभा रही हूँ
उन कसमों को, उन वादों को
जो तुमने मुझे निभाने को कहा था…
परिवार के उन दायित्वों को
जो तुमने मुझे सिखाया था…
जब मैं विदा हो चली थी
उस घर से इस घर के लिये
पर माँ !
मैं माँ और पत्नी के साथ-2
इक बेटी भी हूँ ना…
मुझे भी तुम्हारी याद आती है
तुम्हारी वो सुकून भरी गोद
जब मैं टूटती या बिखरती हूँ
पर, फिर लग जाती हूँ
निभाने दायित्वों को
तुम्हारी ही दी हुई
शिक्षा को
तुम भी तो मुझे याद करती होगी माँ !
पर
तुम भी तो घिरी हो
दायित्वों के घेरे में,
पर, तुम कभी नहीं थकती।
लेकिन, मैं देख पाती हूँ
वो मायूसी
जो मेरे दूर रहने से छा जाती है
तुम्हारी आँखों में
पर, माँ ! तुम उदास मत होना
शायद अगले साल
तुम्हारे जन्मदिन पर मैं
तुम्हारे पास होऊँ
इसी इन्तजार में…
आज से ही गिनती हूँ दिन…
३६५ हाँ पूरे ३६५ दिन…
फिर मिलकर काटेगें केक
मैं खिलाऊँगी केक का टुकडा तुम्हें
जो अपनी देश की धरती से दूर रहकर
नहीं खिला पायी
और तुमने भी तो..
मेरे ही कारण
केक बनाना ही छोड़ दिया
और छोड़ दिया जन्म दिन मनाना भी
माँ ! अगले साल मनाएँगे जन्म दिन
सजायेंगे महफिल
और तुम
केक बनाकार रखना
और फिर
मेरा इन्तजार करना...
मेरा इन्तजार करना...