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"निवेदन / मधुरिमा / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर
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− | मद भरे अरुणाभ हैं सुन्दर अधर, | + | मद भरे अरुणाभ हैं सुन्दर अधर, |
− | नैन हिरनी से कहीं निश्छल सरल, | + | नैन हिरनी से कहीं निश्छल सरल, |
− | देह ‘विद्युत, काँच, जल-सी’ श्वेत है, | + | देह ‘विद्युत, काँच, जल-सी’ श्वेत है, |
− | डालियों-सी बाहु मांसल तव नवल, | + | डालियों-सी बाहु मांसल तव नवल, |
− | :आज जीवन से भरा नव | + | :आज जीवन से भरा नव |
− | :गीत मीठा गुनगुना दो ! | + | :गीत मीठा गुनगुना दो! |
− | स्वर्ग से सुन्दर कहीं संसार है, | + | स्वर्ग से सुन्दर कहीं संसार है, |
− | हर दिशा से हो रही झंकार है, | + | हर दिशा से हो रही झंकार है, |
− | विश्व को यह प्रेम री स्वीकार है, | + | विश्व को यह प्रेम री स्वीकार है, |
− | :चिर-प्रतीक्षित-मधु-मिलन | + | :चिर-प्रतीक्षित-मधु-मिलन |
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23:26, 30 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
सुप्त उर के तार फिर से
प्राण! आकर झनझना दो!
नभ-अवनि में शुभ्र फैली चांदनी,
मूक है खोयी हुई-सी यामिनी;
और कितनी तुम मनोहर कामिनी!
आज तो बन्दी बनाकर
क्षणिक उन्मादी बनादो!
मद भरे अरुणाभ हैं सुन्दर अधर,
नैन हिरनी से कहीं निश्छल सरल,
देह ‘विद्युत, काँच, जल-सी’ श्वेत है,
डालियों-सी बाहु मांसल तव नवल,
आज जीवन से भरा नव
गीत मीठा गुनगुना दो!
स्वर्ग से सुन्दर कहीं संसार है,
हर दिशा से हो रही झंकार है,
विश्व को यह प्रेम री स्वीकार है,
चिर-प्रतीक्षित-मधु-मिलन
त्योहार संगिनि! अब मना लो!