भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बोध / राग-संवेदन / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
छो (बोध (राग-संवेदन) / महेन्द्र भटनागर का नाम बदलकर बोध / राग-संवेदन / महेन्द्र भटनागर कर दिया गया है) |
|||
| पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=महेन्द्र भटनागर | |रचनाकार=महेन्द्र भटनागर | ||
|संग्रह=राग-संवेदन / महेन्द्र भटनागर | |संग्रह=राग-संवेदन / महेन्द्र भटनागर | ||
| − | }}भूल जाओ _ | + | }} |
| − | मिले थे हम | + | {{KKCatKavita}} |
| − | कभी! | + | <poem> |
| − | चित्र जो अंकित हुए | + | भूल जाओ _ |
| − | सपने थे | + | मिले थे हम |
| − | सभी! | + | कभी! |
| − | भूल जाओ _ | + | चित्र जो अंकित हुए |
| − | रंगों को | + | सपने थे |
| − | बहारों को, | + | सभी! |
| − | देह से : मन से | + | भूल जाओ _ |
| − | गुज़रती | + | रंगों को |
| − | कामना-अनुभूत धारों को! | + | बहारों को, |
| − | भूल जाओ _ | + | देह से : मन से |
| − | हर व्यतीत-अतीत को, | + | गुज़रती |
| − | गाये-सुनाये | + | कामना-अनुभूत धारों को! |
| − | गीत को : संगीत को! | + | भूल जाओ _ |
| + | हर व्यतीत-अतीत को, | ||
| + | गाये-सुनाये | ||
| + | गीत को: संगीत को! | ||
| + | </poem> | ||
15:17, 1 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
भूल जाओ _
मिले थे हम
कभी!
चित्र जो अंकित हुए
सपने थे
सभी!
भूल जाओ _
रंगों को
बहारों को,
देह से : मन से
गुज़रती
कामना-अनुभूत धारों को!
भूल जाओ _
हर व्यतीत-अतीत को,
गाये-सुनाये
गीत को: संगीत को!
