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"युगान्तर / राग-संवेदन / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर
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|रचनाकार=महेन्द्र भटनागर | |रचनाकार=महेन्द्र भटनागर | ||
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| − | सूर्य उगा | + | अब तो |
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| − | फैला सर्वत्र | + | अपना आकाश है! |
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हमारे पास है! | हमारे पास है! | ||
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15:18, 1 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
अब तो
धरती अपनी,
अपना आकाश है!
सूर्य उगा
लो
फैला सर्वत्र
प्रकाश है!
स्वधीन रहेंगे
सदा-सदा
पूरा विश्वास है!
मानव-विकास का चक्र
न पीछे मुड़ता
साक्षी इतिहास है!
यह
प्रयोग-सिद्ध
तत्व-ज्ञान
हमारे पास है!
