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"सावधान / जिजीविषा / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर
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− | युग है दलितों का जिसकी बाट सदा जोही ! | + | युग है दलितों का जिसकी बाट सदा जोही! |
− | ललकार रहा है नित धरता मज़बूत क़दम | + | ललकार रहा है नित धरता मज़बूत क़दम |
− | इंसान नया, नव राह बना, कर दूर वहम ! | + | इंसान नया, नव राह बना, कर दूर वहम! |
− | कंधों पर आज किये नव-रचना भार वहन, | + | कंधों पर आज किये नव-रचना भार वहन, |
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− | निष्फल अभियान विपक्षी व्यूह हुए लुंठित, | + | निष्फल अभियान विपक्षी व्यूह हुए लुंठित, |
− | कल की आँधी देख रही प्रतिहत राह थकित ! | + | कल की आँधी देख रही प्रतिहत राह थकित! |
− | नव-लाली ले उगता लो जनता का सूरज, | + | नव-लाली ले उगता लो जनता का सूरज, |
− | ‘नया सबेरा’ आज दमामा कहता बज-बज ! | + | ‘नया सबेरा’ आज दमामा कहता बज-बज! |
− | मानव के हाथों में सुदृढ़ हथौड़े का बल, | + | मानव के हाथों में सुदृढ़ हथौड़े का बल, |
− | पर्वत की छाती पर चलता जनता का हल ! | + | पर्वत की छाती पर चलता जनता का हल! |
− | हरियाली लाएगा, समता विश्वास अमर, | + | हरियाली लाएगा, समता विश्वास अमर, |
− | फूटेंगे अंकुर पथरीली बंजर भू पर ! | + | फूटेंगे अंकुर पथरीली बंजर भू पर! |
− | रस का सागर लहराएगा जन-जन के हित, | + | रस का सागर लहराएगा जन-जन के हित, |
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17:34, 1 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
अब और न चलने पाएगी परदापोशी,
भंग हुई है गत युग की जड़ता बेहोशी!
सावधान हो जाओ, ओ! जन-पथ के द्रोही,
युग है दलितों का जिसकी बाट सदा जोही!
ललकार रहा है नित धरता मज़बूत क़दम
इंसान नया, नव राह बना, कर दूर वहम!
कंधों पर आज किये नव-रचना भार वहन,
टकरा कर मर्दित दग्ध-विषैला-क्रूर दमन!
निष्फल अभियान विपक्षी व्यूह हुए लुंठित,
कल की आँधी देख रही प्रतिहत राह थकित!
नव-लाली ले उगता लो जनता का सूरज,
‘नया सबेरा’ आज दमामा कहता बज-बज!
मानव के हाथों में सुदृढ़ हथौड़े का बल,
पर्वत की छाती पर चलता जनता का हल!
हरियाली लाएगा, समता विश्वास अमर,
फूटेंगे अंकुर पथरीली बंजर भू पर!
रस का सागर लहराएगा जन-जन के हित,
बरसेगा जीवन कण-कण पर मुक्त असीमित!