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− | मौन विहगों का अभी तो गान, | + | मौन विहगों का अभी तो गान, |
− | उठ पड़े, पर, जाग मेरे प्राण, | + | उठ पड़े, पर, जाग मेरे प्राण, |
− | सुन रहा जीवन नया संदेश ! | + | सुन रहा जीवन नया संदेश! |
− | क्या अभी भी रात्रि है कुछ शेष ? | + | क्या अभी भी रात्रि है कुछ शेष? |
− | स्वप्न से मुझको नहीं है मोह, | + | स्वप्न से मुझको नहीं है मोह, |
− | कर्मरत मानव-हृदय की टोह, | + | कर्मरत मानव-हृदय की टोह, |
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17:35, 1 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
क्या अभी भी रात्रि है कुछ शेष?
स्तब्धता, लगता कि सोया भोर,
देखती आँखें क्षितिज की ओर,
सृष्टि का बदला नहीं क्यों वेष?
क्या अभी भी रात्रि है कुछ शेष?
दे रही ऊषा नहीं वरदान,
मौन विहगों का अभी तो गान,
उठ पड़े, पर, जाग मेरे प्राण,
सुन रहा जीवन नया संदेश!
क्या अभी भी रात्रि है कुछ शेष?
स्वप्न से मुझको नहीं है मोह,
कर्मरत मानव-हृदय की टोह,
जागता मेरा रहे नव देश!
क्या अभी भी रात्रि है कुछ शेष?