भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"प्‍यार में डूबी हुई लड़कियाँ-1 / मनीषा पांडेय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो ()
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=मनीषा पांडेय
 
|रचनाकार=मनीषा पांडेय
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 
रेशम के दुपट्टे में टाँकती हैं सितारा
 
रेशम के दुपट्टे में टाँकती हैं सितारा
 
 
देह मल-मलकर नहाती हैं,
 
देह मल-मलकर नहाती हैं,
 
 
करीने से सजाती हैं बाल
 
करीने से सजाती हैं बाल
 
 
आँखों में काजल लगाती हैं
 
आँखों में काजल लगाती हैं
 
 
प्‍यार में डूबी हुई लड़कियाँ...
 
प्‍यार में डूबी हुई लड़कियाँ...
 
  
 
मन-ही-मन मुस्‍कुराती हैं अकेले में
 
मन-ही-मन मुस्‍कुराती हैं अकेले में
 
 
बात-बेबात चहकती
 
बात-बेबात चहकती
 
 
आईने में निहारती अपनी छातियों को
 
आईने में निहारती अपनी छातियों को
 
 
कनखियों से
 
कनखियों से
 
 
ख़ुद ही शरमा‍कर नज़रें फिराती हैं
 
ख़ुद ही शरमा‍कर नज़रें फिराती हैं
 
 
प्‍यार में डूबी हुई लड़कियाँ...  
 
प्‍यार में डूबी हुई लड़कियाँ...  
 
  
 
डाकिए का करती हैं इंतज़ार
 
डाकिए का करती हैं इंतज़ार
 
 
मन-ही-मन लिखती हैं जवाब
 
मन-ही-मन लिखती हैं जवाब
 
 
आने वाले ख़त का
 
आने वाले ख़त का
 
 
पिछले दफ़ा मिले एक चुंबन की स्‍मृति
 
पिछले दफ़ा मिले एक चुंबन की स्‍मृति
 
 
हीरे की तरह संजोती हैं अपने भीतर
 
हीरे की तरह संजोती हैं अपने भीतर
 
 
प्‍यार में डूबी हुई लड़कियाँ...
 
प्‍यार में डूबी हुई लड़कियाँ...
 
  
 
प्‍यार में डूबी हुई लड़कियाँ
 
प्‍यार में डूबी हुई लड़कियाँ
 
 
नदी हो जाती हैं
 
नदी हो जाती हैं
 
 
और पतंग भी
 
और पतंग भी
 
 
कल-कल करती बहती हैं
 
कल-कल करती बहती हैं
 
 
नाप लेती है सारा आसमान
 
नाप लेती है सारा आसमान
 
 
किसी रस्‍सी से नहीं बंधती
 
किसी रस्‍सी से नहीं बंधती
 
 
प्‍यार में डूबी हुई लड़कियाँ...
 
प्‍यार में डूबी हुई लड़कियाँ...
 +
</poem>

21:54, 1 जनवरी 2010 का अवतरण

रेशम के दुपट्टे में टाँकती हैं सितारा
देह मल-मलकर नहाती हैं,
करीने से सजाती हैं बाल
आँखों में काजल लगाती हैं
प्‍यार में डूबी हुई लड़कियाँ...

मन-ही-मन मुस्‍कुराती हैं अकेले में
बात-बेबात चहकती
आईने में निहारती अपनी छातियों को
कनखियों से
ख़ुद ही शरमा‍कर नज़रें फिराती हैं
प्‍यार में डूबी हुई लड़कियाँ...

डाकिए का करती हैं इंतज़ार
मन-ही-मन लिखती हैं जवाब
आने वाले ख़त का
पिछले दफ़ा मिले एक चुंबन की स्‍मृति
हीरे की तरह संजोती हैं अपने भीतर
प्‍यार में डूबी हुई लड़कियाँ...

प्‍यार में डूबी हुई लड़कियाँ
नदी हो जाती हैं
और पतंग भी
कल-कल करती बहती हैं
नाप लेती है सारा आसमान
किसी रस्‍सी से नहीं बंधती
प्‍यार में डूबी हुई लड़कियाँ...