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"ईश्वर न करे / धर्मवीर भारती" के अवतरणों में अंतर

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दर्द, हाँ अगर चाहो तो इसे दर्द कहो
 
दर्द, हाँ अगर चाहो तो इसे दर्द कहो
 
मगर ये और भी बेदर्द सजा है ए दोस्त!
 
मगर ये और भी बेदर्द सजा है ए दोस्त!
कि हाड़ हाड़ चिटख जाए मगर दर्द न हो!</poem>
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कि हाड़ हाड़ चिटख जाए मगर दर्द न हो!
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22:10, 1 जनवरी 2010 के समय का अवतरण

ईश्वर न करे तुम कभी ये दर्द सहो
दर्द, हाँ अगर चाहो तो इसे दर्द कहो
मगर ये और भी बेदर्द सजा है ए दोस्त!
कि हाड़ हाड़ चिटख जाए मगर दर्द न हो!