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"ओस में भीगी हुई / धर्मवीर भारती" के अवतरणों में अंतर
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|रचनाकार=धर्मवीर भारती | |रचनाकार=धर्मवीर भारती | ||
− | }} <poem>ओस में भीगी हुई अमराईयों को चूमता | + | |संग्रह=मेरी वाणी गैरिक वासना / धर्मवीर भारती |
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22:11, 1 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
ओस में भीगी हुई अमराईयों को चूमता
झूमता आता मलय का एक झोंका सर्द
काँपती-मन की मुँदी मासूम कलियाँ काँपतीं
और ख़ुशबू सा बिखर जाता हृदय का दर्द!