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"मेघ जहाँ-तहाँ दामिनी है अरु दीप जहाँ-तहाँ जोति है भातें / रघुनाथ" के अवतरणों में अंतर
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− | मेघ जहाँ तहाँ दामिनी है अरु दीप जहाँ तहाँ जोति है | + | मेघ जहाँ-तहाँ दामिनी है अरु दीप जहाँ-तहाँ जोति है भातें । |
− | केस | + | केस जहाँ-तहाँ माँग सुबेस है है गिरि गेरू तहाँ रंग रातें । |
− | मोहन | + | मोहन सों मिलिबे को बलाल्यों मैं रघुनाथ कहौ हठि यातें । |
− | होत नयो | + | होत नयो नहीं आयो चल्यो रंग साँवरे गोरे को संग सदा ते। |
''' रघुनाथ का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है। | ''' रघुनाथ का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है। | ||
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13:46, 2 जनवरी 2010 का अवतरण
मेघ जहाँ-तहाँ दामिनी है अरु दीप जहाँ-तहाँ जोति है भातें ।
केस जहाँ-तहाँ माँग सुबेस है है गिरि गेरू तहाँ रंग रातें ।
मोहन सों मिलिबे को बलाल्यों मैं रघुनाथ कहौ हठि यातें ।
होत नयो नहीं आयो चल्यो रंग साँवरे गोरे को संग सदा ते।
रघुनाथ का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।