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"विश्वास / संवर्त / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर
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| − | निष्ठा कहाँ ? | + | निष्ठा कहाँ? |
| − | विश्वासघात मिला सदा, | + | विश्वासघात मिला सदा, |
| − | मधुफल नहीं, | + | मधुफल नहीं, |
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| − | बस | + | बस |
| − | दहकता विष ही बदा ! | + | दहकता विष ही बदा! |
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| − | निराश नहीं ! | + | निराश नहीं! |
| − | क्षणिक हैं — | + | क्षणिक हैं — |
| − | ग्लानि | + | ग्लानि |
| − | पीड़ा | + | पीड़ा |
| − | घुटन ! | + | घुटन! |
| − | वरदान समझो | + | वरदान समझो |
| − | शेष कोई | + | शेष कोई |
| − | मोह-पाश नहीं !< | + | मोह-पाश नहीं! |
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14:07, 2 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
जीवन में
पराजित हूँ,
हताश नहीं!
निष्ठा कहाँ?
विश्वासघात मिला सदा,
मधुफल नहीं,
दुर्भाग्य में
बस
दहकता विष ही बदा!
अभिशप्त हूँ,
पग-पग प्रवंचित हूँ,
निराश नहीं!
क्षणिक हैं —
ग्लानि
पीड़ा
घुटन!
वरदान समझो
शेष कोई
मोह-पाश नहीं!
