भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सोई सही राजा दान धारा न रुकति जाकी / हरिकेश" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
छो (सोई सही राजा दान धारा न रुकति जाकी /हरिकेश का नाम बदलकर सोई सही राजा दान धारा न रुकति जाकी / हरिकेश क) |
|||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=हरिकेश | |रचनाकार=हरिकेश | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
+ | {{Catgory: कवित्त}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | सोई सही राजा दान धारा न रुकति जाकी , | + | सोई सही राजा दान धारा न रुकति जाकी, |
− | जुद्ध जस धारा देवदारा मुख | + | ::जुद्ध जस धारा देवदारा मुख जोबती। |
− | कबि हरिकेस कहै सोई सही राजा , | + | कबि हरिकेस कहै सोई सही राजा, |
− | जाकी प्रजा ध्रुव धरम धुजा के छाँह | + | ::जाकी प्रजा ध्रुव धरम धुजा के छाँह सोवती। |
− | ऎसे तो कहावत हैँ कोरी राजा कोढ़ी राजा , | + | ऎसे तो कहावत हैँ कोरी राजा कोढ़ी राजा, |
− | घर घर राजा मान मैया मुँह | + | ::घर घर राजा मान मैया मुँह जोबती। |
− | सुमिरि सुमिरि चमरैलियाँ कुरैलियाहू , | + | सुमिरि सुमिरि चमरैलियाँ कुरैलियाहू, |
− | मूये ते खसम राजा राजा कहि | + | ::मूये ते खसम राजा राजा कहि रोबती। |
'''हरिकेश का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है। | '''हरिकेश का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है। | ||
</Poem> | </Poem> |
15:51, 2 जनवरी 2010 का अवतरण
साँचा:Catgory: कवित्तसोई सही राजा दान धारा न रुकति जाकी,
जुद्ध जस धारा देवदारा मुख जोबती।
कबि हरिकेस कहै सोई सही राजा,
जाकी प्रजा ध्रुव धरम धुजा के छाँह सोवती।
ऎसे तो कहावत हैँ कोरी राजा कोढ़ी राजा,
घर घर राजा मान मैया मुँह जोबती।
सुमिरि सुमिरि चमरैलियाँ कुरैलियाहू,
मूये ते खसम राजा राजा कहि रोबती।
हरिकेश का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।