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"बदली नहीं है अब तक / अश्वघोष" के अवतरणों में अंतर

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बन-बन के रह गई है तस्वीर रोशनी की।
 
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खूनी हवा से कह दो बद हरकतो को छोड़े
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ख़ूनी हवा से कह दो बद हरकतों को छोड़े
 
हालत हुई है अब तो गम्भीर रोशनी की।
 
हालत हुई है अब तो गम्भीर रोशनी की।
  
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लिखी गई है जब-जब तहरीर रोशनी की।
 
लिखी गई है जब-जब तहरीर रोशनी की।
  
गुमनाम ये अँधेरे आ जाए बाज़ वरना
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गुमनाम ये अँधेरे आ जाएँ बाज़ वरना
 
भारी पड़ेगी उनको शमशीर रोशनी की।
 
भारी पड़ेगी उनको शमशीर रोशनी की।
  

15:49, 3 जनवरी 2010 के समय का अवतरण

बदली नहीं है अब तक तकदीर रोशनी की।
बन-बन के रह गई है तस्वीर रोशनी की।

ख़ूनी हवा से कह दो बद हरकतों को छोड़े
हालत हुई है अब तो गम्भीर रोशनी की।

उल्लेख तक को तरसे घनघोर अँधेरे भी
लिखी गई है जब-जब तहरीर रोशनी की।

गुमनाम ये अँधेरे आ जाएँ बाज़ वरना
भारी पड़ेगी उनको शमशीर रोशनी की।

तुम दीप तो जलाओ हर ओर अँधेरा है
कुछ तो नज़र में आए तासीर रोशनी की।