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अन्तिम मनुष्य / रामधारी सिंह "दिनकर"
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15:55, 4 जनवरी 2010
:धनुष ध्वंस का धारे।
’जय हो’,जिनके कर-स्पर्श से
:आदि पुरुष थे जागे,
सोयेगा अन्तिम मानव भी,
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