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"हिस्सा / नरेश सक्सेना" के अवतरणों में अंतर
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लेकिन उसमें कुछ नमक भी है | लेकिन उसमें कुछ नमक भी है | ||
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जो बच रहेगा | जो बच रहेगा | ||
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टपक रहे ख़ून में जो पानी है वह सूख जाएगा | टपक रहे ख़ून में जो पानी है वह सूख जाएगा | ||
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लेकिन उसमें कुछ लोहा भी है | लेकिन उसमें कुछ लोहा भी है | ||
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जो बच रहेगा | जो बच रहेगा | ||
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एक दिन नमक और लोहे की कमी का शिकार | एक दिन नमक और लोहे की कमी का शिकार | ||
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तुम पाओगे ख़ुद को और ढेर सारा | तुम पाओगे ख़ुद को और ढेर सारा | ||
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ख़रीद भी लाओगे | ख़रीद भी लाओगे | ||
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लेकिन तब पाओगे कि अरे | लेकिन तब पाओगे कि अरे | ||
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हमें तो अब पानी भी रास नहीं आता | हमें तो अब पानी भी रास नहीं आता | ||
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तब याद आएगा वह पानी | तब याद आएगा वह पानी | ||
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जो तुम्हारे देखते-देखते नमक और लोहे का | जो तुम्हारे देखते-देखते नमक और लोहे का | ||
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साथ छोड़ गया था | साथ छोड़ गया था | ||
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दुनिया के नमक और लोहे में हमारा भी हिस्सा है | दुनिया के नमक और लोहे में हमारा भी हिस्सा है | ||
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तो फिर दुनिया भर में बहते हुए ख़ून और पसीने में | तो फिर दुनिया भर में बहते हुए ख़ून और पसीने में | ||
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हमारा भी हिस्सा होना चाहिए। | हमारा भी हिस्सा होना चाहिए। | ||
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09:59, 5 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
बह रहे पसीने में जो पानी है वह सूख जाएगा
लेकिन उसमें कुछ नमक भी है
जो बच रहेगा
टपक रहे ख़ून में जो पानी है वह सूख जाएगा
लेकिन उसमें कुछ लोहा भी है
जो बच रहेगा
एक दिन नमक और लोहे की कमी का शिकार
तुम पाओगे ख़ुद को और ढेर सारा
ख़रीद भी लाओगे
लेकिन तब पाओगे कि अरे
हमें तो अब पानी भी रास नहीं आता
तब याद आएगा वह पानी
जो तुम्हारे देखते-देखते नमक और लोहे का
साथ छोड़ गया था
दुनिया के नमक और लोहे में हमारा भी हिस्सा है
तो फिर दुनिया भर में बहते हुए ख़ून और पसीने में
हमारा भी हिस्सा होना चाहिए।