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"नींद में या बेहोशी में / नरेश सक्सेना" के अवतरणों में अंतर
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ओ गिट्टी-लदे ट्रक पर सोए हुए आदमी | ओ गिट्टी-लदे ट्रक पर सोए हुए आदमी | ||
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तुम नींद में हो या बेहोशी में | तुम नींद में हो या बेहोशी में | ||
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गिट्टी-लदा ट्रक और तलवों पर पिघलता हुआ कोलतार | गिट्टी-लदा ट्रक और तलवों पर पिघलता हुआ कोलतार | ||
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ऎसे में क्या नींद आती है? | ऎसे में क्या नींद आती है? | ||
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दिन भर तुमने गिट्टियाँ नहीं अपनी हड्डियाँ तोड़ी हैं | दिन भर तुमने गिट्टियाँ नहीं अपनी हड्डियाँ तोड़ी हैं | ||
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और हिसाब गिट्टियों का भी नहीं पाया | और हिसाब गिट्टियों का भी नहीं पाया | ||
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अच्छा ज़रा महसूस करके देखो | अच्छा ज़रा महसूस करके देखो | ||
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अभी तुम गिट्टियों पर सोए हो या अपनी हड्डियों पर | अभी तुम गिट्टियों पर सोए हो या अपनी हड्डियों पर | ||
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महसूस करो फेफड़ों में भरी हुई | महसूस करो फेफड़ों में भरी हुई | ||
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पत्थर की धूल | पत्थर की धूल | ||
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समझो कि टूटता हुआ पत्थर भी | समझो कि टूटता हुआ पत्थर भी | ||
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तोड़ने वाले के सीने में लगाता है सुरंग़ | तोड़ने वाले के सीने में लगाता है सुरंग़ | ||
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तुम कुछ जवाब नहीं देते | तुम कुछ जवाब नहीं देते | ||
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ओ गिट्टी-लदे ट्रक पर सोए हुए आदमी | ओ गिट्टी-लदे ट्रक पर सोए हुए आदमी | ||
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तुम नींद में हो | तुम नींद में हो | ||
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या बेहोशी में? | या बेहोशी में? | ||
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10:14, 5 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
ओ गिट्टी-लदे ट्रक पर सोए हुए आदमी
तुम नींद में हो या बेहोशी में
गिट्टी-लदा ट्रक और तलवों पर पिघलता हुआ कोलतार
ऎसे में क्या नींद आती है?
दिन भर तुमने गिट्टियाँ नहीं अपनी हड्डियाँ तोड़ी हैं
और हिसाब गिट्टियों का भी नहीं पाया
अच्छा ज़रा महसूस करके देखो
अभी तुम गिट्टियों पर सोए हो या अपनी हड्डियों पर
महसूस करो फेफड़ों में भरी हुई
पत्थर की धूल
समझो कि टूटता हुआ पत्थर भी
तोड़ने वाले के सीने में लगाता है सुरंग़
तुम कुछ जवाब नहीं देते
ओ गिट्टी-लदे ट्रक पर सोए हुए आदमी
तुम नींद में हो
या बेहोशी में?