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"साम्य / नरेश सक्सेना" के अवतरणों में अंतर
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10:41, 5 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
समुद्र के निर्जन विस्तार को देखकर
वैसा ही डर लगता है
जैसा रेगिस्तान को देखकर
समुद्र और रेगिस्तान में अजीब साम्य है
दोनो ही होते हैं विशाल
लहरों से भरे हुए
और दोनों ही
भटके हुए आदमी को मारते हैं
प्यासा।