भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"छह दिसंबर / नरेश सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नरेश सक्सेना |संग्रह=समुद्र पर हो रही है बारिश / नरेश स...)
 
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=समुद्र पर हो रही है बारिश / नरेश सक्सेना
 
|संग्रह=समुद्र पर हो रही है बारिश / नरेश सक्सेना
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 
इतिहास के बहुत से भ्रमों में से
 
इतिहास के बहुत से भ्रमों में से
 
 
एक यह भी है
 
एक यह भी है
 
 
कि महमूद ग़ज़नवी लौट गया था
 
कि महमूद ग़ज़नवी लौट गया था
 
  
 
लौटा नहीं था वह
 
लौटा नहीं था वह
 
 
यहीं था
 
यहीं था
 
  
 
सैंकड़ों बरस बाद अचानक
 
सैंकड़ों बरस बाद अचानक
 
 
वह प्रकट हुआ अयोध्या में
 
वह प्रकट हुआ अयोध्या में
 
  
 
सोमनाथ में उसने किया था
 
सोमनाथ में उसने किया था
 
 
अल्लाह का काम तमाम
 
अल्लाह का काम तमाम
 
 
इस बार उसका नारा था
 
इस बार उसका नारा था
 
 
जय श्रीराम।
 
जय श्रीराम।
 +
</poem>

10:47, 5 जनवरी 2010 के समय का अवतरण

इतिहास के बहुत से भ्रमों में से
एक यह भी है
कि महमूद ग़ज़नवी लौट गया था

लौटा नहीं था वह
यहीं था

सैंकड़ों बरस बाद अचानक
वह प्रकट हुआ अयोध्या में

सोमनाथ में उसने किया था
अल्लाह का काम तमाम
इस बार उसका नारा था
जय श्रीराम।