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"सैलाब / शीन काफ़ निज़ाम" के अवतरणों में अंतर
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हम सब | हम सब | ||
फिर दुआ माँगें | फिर दुआ माँगें |
20:20, 10 जनवरी 2010 का अवतरण
बज रही हैं
सुन रहे हो
दूर से
अब बहुत नज़दीक है
नज़दीकतर
फिर वही बिलकुल वही बरसों पुरानी
घड़घड़ाहट आओ
हम सब
फिर दुआ माँगें
हमारे ज़िस्म के
हर एक मू से
इस दफा तो पैर निकलें
हम सब अपने अनगिनत पैरों से
अब के
भाग निकलें
छोड़ कर
घर और घरौंदे
नदियाँ नाले परिंदे
क़िस्से