भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सायों के साए में/ शीन काफ़ निज़ाम" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शीन काफ़ निज़ाम |संग्रह=सायों के साए में / शीन का…)
 
(कोई अंतर नहीं)

21:10, 10 जनवरी 2010 के समय का अवतरण

मुंतज़िर
मुशव्वशो मुंतशिर
कितने मकानों की क़तारें
उस खंडहर की ओर
जो शायद कभी मा' बदकदा था
उन का
जिन के गम होने से हैं
गुमसुम
सभी गलियाँ और
गुज़रगाहों प' मंडराता हुआ
आसेबी साया
मोड़ पर
रूकती ठिठकती
अजनबी साए से
सहमी
कोई परछाई पलटती
भागते क़दमों की आहट
डूब जाती
आबजू के
ठीक
बीचो बीच