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"जीवन उखड़ा सा नाखून / कुँअर बेचैन" के अवतरणों में अंतर

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20:12, 11 जनवरी 2010 के समय का अवतरण

जीवन’
उखड़ा-सा नाखून
समय की
चोट लगी उंगली का।
हर पीड़ा की
फाँस लगी
मन में
इतनी गहरी
जिसे
निकाल न पाए
अनगिन
खुशियों के प्रहरी
हर सपना
निष्फल निकला
ज्यों छिलका मूँगफली का।
चौराहों पर
बिक जाती हैं
पतिव्रता साँसें
फिर भी
तृप्त नहीं हो पातीं
इस मन की प्यासें
मन सुनता रहता है
सबकी,
जैसे मोड़ गली का।