भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है <br>
तुम्हीं कहो के कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है <br><br>
न शोले में ये करिश्मा न बर्क़ में ये अदा <br>
कोई बताओ कि वो शोख़-एशोखे-तुंदख़ू क्या है <br><br>
ये रश्क है कि वो होता है हमसुख़न हमसे <br>
वरना ख़ौफ़-ए-बदामोज़ी-ए-अद अदू क्या है <br><br>
चिपक रहा है बदन पर लहू से पैराहन <br>
हमारी जेब ज़ेब को अब हाजत-ए-रफ़ू क्या है <br><br>
जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा <br>
पियूँ शराब अगर ख़ुम भी देख लूँ दो चार <br>
ये शीशा-ओ-क़दाहक़दह-ओ-कूज़ा-ओ-सुबू क्या है <br><br>
रही न ताक़त-ए-गुफ़्तार और अगर हो भी <br>
तो किस उम्मीद पे कहिये के आरज़ू क्या है <br><br>
बना है शाह शह का मुसाहिब, फिरे है इतराता <br>वरना वगर्ना शहर में "ग़ालिब" की आबरू क्या है <br><br>