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"काशी साधे नहीं सध रही / नईम" के अवतरणों में अंतर
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11:48, 13 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
काशी साधे नहीं सध रही
चलो कबीरा!
मगहर साधें
सौदा-सुलुफ कर किया हो तो
उठकर अपनी
गठरी बांधें
इस बस्ती के बाशिंदे हम
लेकिन सबके सब अनिवासी,
फिर चाहे राजे-रानी हों -
या हो कोई दासी,
कै दिन की लकड़ी की हांडी?
क्योंकर इसमें खिचड़ी रांधें
राजे बेईमान
बजीरा बेपेंदी के लोटे,
छाये हुये चलन में सिक्के
बड़े ठाठ से खोटे
ठगी, पिंडारी के मारे सब
सौदागर हो गये हताहत
चलो कबीरा!
काशी साधे नहीं सध रही,
तब मगहर ही साधें