भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"झाड़ू की नीतिकथा / राजेश जोशी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो (नया पृष्ठ: '''झाडू की नीति कथा''' झाडू बहुत सुबह जाग जाती है<br\> और शुरू कर देती है …)
(कोई अंतर नहीं)

23:19, 15 जनवरी 2010 का अवतरण

झाडू की नीति कथा

झाडू बहुत सुबह जाग जाती है<br\> और शुरू कर देती है अपना काम

बुहारते हुए अपनी अटपटी भाषा में<br\> वह लगातार बड़बड़ाती है<br\> ’कचरा बुहारने की चीज है घबराने की नहीं<br\> कि अब भी बनाई जा सकती हैं जगहें<br\>

                      रहने के लायक.’

० जून १९९०