भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"वहै मुसक्यानि / घनानंद" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=घनानंद }} ::::'''कवित्त'''<br><br> वहै मुसक्यानि, वहै मृदु बतरानि, ...) |
|||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=घनानंद | |रचनाकार=घनानंद | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavitt}} | |
− | वहै मुसक्यानि, वहै मृदु बतरानि, वहै | + | <poem> |
− | ::लड़कीली बानि आनि उर मैं अरति है। | + | वहै मुसक्यानि, वहै मृदु बतरानि, वहै |
− | वहै गति लैन औ बजावनि ललित बैन, | + | ::लड़कीली बानि आनि उर मैं अरति है। |
− | ::वहै हँसि दैन, हियरा तें न टरति है। | + | वहै गति लैन औ बजावनि ललित बैन, |
− | वहै चतुराई सों चिताई चाहिबे की छबि, | + | ::वहै हँसि दैन, हियरा तें न टरति है। |
− | ::वहै छैलताई न छिनक बिसरति है। | + | वहै चतुराई सों चिताई चाहिबे की छबि, |
− | आनँदनिधान प्रानप्रीतम सुजानजू की, | + | ::वहै छैलताई न छिनक बिसरति है। |
− | ::सुधि सब भाँतिन सों बेसुधि करति | + | आनँदनिधान प्रानप्रीतम सुजानजू की, |
+ | ::सुधि सब भाँतिन सों बेसुधि करति है। | ||
+ | </poem> |
11:04, 16 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
वहै मुसक्यानि, वहै मृदु बतरानि, वहै
लड़कीली बानि आनि उर मैं अरति है।
वहै गति लैन औ बजावनि ललित बैन,
वहै हँसि दैन, हियरा तें न टरति है।
वहै चतुराई सों चिताई चाहिबे की छबि,
वहै छैलताई न छिनक बिसरति है।
आनँदनिधान प्रानप्रीतम सुजानजू की,
सुधि सब भाँतिन सों बेसुधि करति है।