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{{KKGlobal}}
{{KKLokRachna|रचनाकार: [[=अज्ञात]]}}[[ विवाह –गीत / अज्ञात ]]{{KKLokGeetBhaashaSoochi|भाषा=खड़ी बोली~*~*~*~*~*~*~*~~*~*~*~*~*~*~*~ }}'''विवाह–गीत'''<poem>अन्दर से लाड्डो बाहर निकलो <br> कँवर चौंरी चढ़ गयौ <br> होय लो न रुकमण सामणी ।<br> -मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया<br> लखिया सा बाबा मेरी सामणी ।<br>सामणी।तेरे बाबा को अपणी दादी दिलादूँ<br>दिला दूँहोय लो न रुकमण सामणी ।<br>सामणी।-मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया<br> लखिया सा ताऊ मेरी सामणी<br> तेरे ताऊ को अपणी ताई दिलादूँ<br>दिला दूँहोय लो न रुकमण सामणी<br> -मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया<br> लखिया सा भाई मेरी सामणी<br> तेरे भाई को अपणी बाहण दिलादूँदिला दूँ,<br> होय लो न रुकमण सामणी<br> -मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया<br> लखिया सा बाबुल मेरी सामणी<br> तेरे बाबुल को अपणी अम्मा दिलादूँ<br>दिला दूँ  होय लो न रुकमण सामणी ।सामणी।<br/poem>