"पेशी से वापस लौटते हुए / पवन करण" के अवतरणों में अंतर
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इतनी तेज़ बारिश तो नहीं हो रही इस वक़्त | इतनी तेज़ बारिश तो नहीं हो रही इस वक़्त | ||
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फ़ालतू ही रुक गए यहाँ, भीगते हुए ही घर पहुँच जाते | फ़ालतू ही रुक गए यहाँ, भीगते हुए ही घर पहुँच जाते | ||
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तो क्या बिगड़ जाता, कोई मिट्टी के तो नहीं बने हम | तो क्या बिगड़ जाता, कोई मिट्टी के तो नहीं बने हम | ||
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जो गल जाते, गल कर बह जाते पानी में | जो गल जाते, गल कर बह जाते पानी में | ||
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कम से कम अदालत में पेशी से वापस लौटते | कम से कम अदालत में पेशी से वापस लौटते | ||
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इन क़ैदियों से तमाशा बनने से तो बच जाते | इन क़ैदियों से तमाशा बनने से तो बच जाते | ||
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वह साथ थीं वरना इन जालीदार बंद लारियों में | वह साथ थीं वरना इन जालीदार बंद लारियों में | ||
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जानवरों की तरह भरकर जेल वापस लौटते कैदियों में से | जानवरों की तरह भरकर जेल वापस लौटते कैदियों में से | ||
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एक भी मेरी तरफ़ ध्यान नहीं देता | एक भी मेरी तरफ़ ध्यान नहीं देता | ||
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देखता भी नहीं मेरी तरफ़ नज़र उठाकर | देखता भी नहीं मेरी तरफ़ नज़र उठाकर | ||
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वह साथ थीं तभी तो उनके झुंड में से मेरे लिए | वह साथ थीं तभी तो उनके झुंड में से मेरे लिए | ||
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एक सामूहिक स्वर उठा क्यों बे लड़की बाज! | एक सामूहिक स्वर उठा क्यों बे लड़की बाज! | ||
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उसने दबाते हुए अपनी हँसी मुंह फेर लिया मेरी तरफ़ | उसने दबाते हुए अपनी हँसी मुंह फेर लिया मेरी तरफ़ | ||
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और मैं अपने सामने अचानक रुक गई | और मैं अपने सामने अचानक रुक गई | ||
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उस लारी में भरे क़ैदियों को अपनी खिल्ली उड़ाते चेहरे देखता रहा | उस लारी में भरे क़ैदियों को अपनी खिल्ली उड़ाते चेहरे देखता रहा | ||
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जाली से बाहर झाँकने के लिए एक दूसरे पर चढ़-बैठ रहे | जाली से बाहर झाँकने के लिए एक दूसरे पर चढ़-बैठ रहे | ||
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इन क़ैदियों में सभी तरह के अपराधी होंगे | इन क़ैदियों में सभी तरह के अपराधी होंगे | ||
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कोई हत्यारा होगा कोई चोर तो कोई लुटेरा | कोई हत्यारा होगा कोई चोर तो कोई लुटेरा | ||
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किसी ने किया होगा कहीं कोई गबन | किसी ने किया होगा कहीं कोई गबन | ||
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मामूली सा जेबकतरा भी होगा एक न एक ज़रूर | मामूली सा जेबकतरा भी होगा एक न एक ज़रूर | ||
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क्या इनमें कोई प्रेमी भी होगा | क्या इनमें कोई प्रेमी भी होगा | ||
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जो सोच रहा होगा इस वक़्त भी अपनी प्रेमिका के बारे में | जो सोच रहा होगा इस वक़्त भी अपनी प्रेमिका के बारे में | ||
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कम से कम उसे तो क़ैदियों को हम पर इस तरह | कम से कम उसे तो क़ैदियों को हम पर इस तरह | ||
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फब्तियाँ कसते देख ज़रूर बुरा लगा होगा | फब्तियाँ कसते देख ज़रूर बुरा लगा होगा | ||
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शायद वह उन्हें रोकना भी चाहता होगा | शायद वह उन्हें रोकना भी चाहता होगा | ||
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इन क़ैदियों में कोई ऐसा भी होगा जिसने किया होगा | इन क़ैदियों में कोई ऐसा भी होगा जिसने किया होगा | ||
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अपने ही बीबी-बच्चों का कत्ल | अपने ही बीबी-बच्चों का कत्ल | ||
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सबसे पहले कुल्हाड़ी से काटी होगी गहरी नींद में सोती पत्नी की गर्दन | सबसे पहले कुल्हाड़ी से काटी होगी गहरी नींद में सोती पत्नी की गर्दन | ||
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एक-एक कर फिर तीनों बच्चों को सुला दिया होगा | एक-एक कर फिर तीनों बच्चों को सुला दिया होगा | ||
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हमेशा के लिए, ओहिर लगा ही ली होगी ख़ुद को फांसी | हमेशा के लिए, ओहिर लगा ही ली होगी ख़ुद को फांसी | ||
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लेकिन मार नहीं पाया होगा ख़ुद को | लेकिन मार नहीं पाया होगा ख़ुद को | ||
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सोचता हूँ अब क्या सोचता होगा वह ख़ुद के बारे में | सोचता हूँ अब क्या सोचता होगा वह ख़ुद के बारे में | ||
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क्या पत्नी की चूडियों की आवाज़ और | क्या पत्नी की चूडियों की आवाज़ और | ||
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बच्चों की किलकारियाँ अब भी गूंजती होंगी उसके कानों में | बच्चों की किलकारियाँ अब भी गूंजती होंगी उसके कानों में | ||
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क्या इन क़ैदियों में कोई जेबकतरा भी होगा ऐसा | क्या इन क़ैदियों में कोई जेबकतरा भी होगा ऐसा | ||
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जिसने मोटर स्टैंड पर किसी ऐसे आदमी की | जिसने मोटर स्टैंड पर किसी ऐसे आदमी की | ||
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काटी होगी जेब जो बूढी माँ की ख़बर मिलने पर | काटी होगी जेब जो बूढी माँ की ख़बर मिलने पर | ||
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शहर से क़र्ज़ लेकर गाँव जा रहा होगा भागा-भागा | शहर से क़र्ज़ लेकर गाँव जा रहा होगा भागा-भागा | ||
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जेब कट जाने पर जो बैठा रह गया होगा वहीं | जेब कट जाने पर जो बैठा रह गया होगा वहीं | ||
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बसों को आता-जाता देखता | बसों को आता-जाता देखता | ||
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ड्यूटी पर खड़ी पुलिस ने भी बेरुखी के साथ | ड्यूटी पर खड़ी पुलिस ने भी बेरुखी के साथ | ||
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थाने में रपट लिखाने कह दिया होगा जिससे | थाने में रपट लिखाने कह दिया होगा जिससे | ||
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इन कैदियों में क्या ऐसे पिता भाई और | इन कैदियों में क्या ऐसे पिता भाई और | ||
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चाचा भी शामिल होंगे जिन्होंने पंचायत का फैसला | चाचा भी शामिल होंगे जिन्होंने पंचायत का फैसला | ||
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मानते हुए अपनी ही लड़की को | मानते हुए अपनी ही लड़की को | ||
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प्रेमी के साथ उसके लटका दिया होगा पेड़ पर | प्रेमी के साथ उसके लटका दिया होगा पेड़ पर | ||
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प्रेम करने के बदले दे दी होगी उसे फांसी | प्रेम करने के बदले दे दी होगी उसे फांसी | ||
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क्या अब यहाँ जेल में वह मासूम सी लड़की और | क्या अब यहाँ जेल में वह मासूम सी लड़की और | ||
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उसका प्रेमी उनके सपनों में आता होगा, | उसका प्रेमी उनके सपनों में आता होगा, | ||
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और क़ैदियों के बीच वे किस तरह करते होंगे | और क़ैदियों के बीच वे किस तरह करते होंगे | ||
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अपनी उस वीरता का बखान | अपनी उस वीरता का बखान | ||
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लारियों में भरकर पेशी से कारागार वापस लौटते | लारियों में भरकर पेशी से कारागार वापस लौटते | ||
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इन क़ैदियों में एक चेहरा मेरा भी हो सकता है कभी | इन क़ैदियों में एक चेहरा मेरा भी हो सकता है कभी | ||
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फ़िर क्या जो इस वक्त मेरे साथ | फ़िर क्या जो इस वक्त मेरे साथ | ||
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बारिश से बचने खड़ी है यहाँ इस छज्जे के नीचे | बारिश से बचने खड़ी है यहाँ इस छज्जे के नीचे | ||
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जो मेरे साथ चाहती है जीना और मरना | जो मेरे साथ चाहती है जीना और मरना | ||
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जो मेरे साथ देखना चाहती है दुनिया | जो मेरे साथ देखना चाहती है दुनिया | ||
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जो मेरे साथ पढ़ना चाहती है सब | जो मेरे साथ पढ़ना चाहती है सब | ||
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जो मेरे साथ लिखना चाहती है कविता | जो मेरे साथ लिखना चाहती है कविता | ||
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क्या वह मुझसे मिलने तब-तब आया करेगी | क्या वह मुझसे मिलने तब-तब आया करेगी | ||
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जब-जब जेल से लाया जाएगा मुझे अदालत पेशी पर | जब-जब जेल से लाया जाएगा मुझे अदालत पेशी पर | ||
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क्या वह मुझे लारी में जेल जाते देख बहाया करेगी आँसू | क्या वह मुझे लारी में जेल जाते देख बहाया करेगी आँसू | ||
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आया करेगी जेल में दरवाज़े तक पीछा करते हुए मेरा | आया करेगी जेल में दरवाज़े तक पीछा करते हुए मेरा | ||
− | + | वह जिससे मैं अक्सर कहता हूँ | |
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− | + | ||
तुम मुझे अपने मन के दरवाज़े पर कुत्ते की तरह | तुम मुझे अपने मन के दरवाज़े पर कुत्ते की तरह | ||
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बंधा रहने देना, भगाना मत कभी | बंधा रहने देना, भगाना मत कभी | ||
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मैं वहां बंधे-बंधे भौंकता रहूंगा | मैं वहां बंधे-बंधे भौंकता रहूंगा | ||
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करता रहूंगा तुम्हारी रक्षा सुनता रहूंगा तुम्हारी, | करता रहूंगा तुम्हारी रक्षा सुनता रहूंगा तुम्हारी, | ||
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कुत्ते की तरह नहीं वफ़ादार प्रेमी की तरह मरूंगा फिर एक दिन | कुत्ते की तरह नहीं वफ़ादार प्रेमी की तरह मरूंगा फिर एक दिन | ||
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क्या वह कभी-कभी बनाकर अपने हाथों खाना | क्या वह कभी-कभी बनाकर अपने हाथों खाना | ||
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टिफ़िन भरकर लाया करेगी मेरे लिए जेल में | टिफ़िन भरकर लाया करेगी मेरे लिए जेल में | ||
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10:21, 17 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
इतनी तेज़ बारिश तो नहीं हो रही इस वक़्त
फ़ालतू ही रुक गए यहाँ, भीगते हुए ही घर पहुँच जाते
तो क्या बिगड़ जाता, कोई मिट्टी के तो नहीं बने हम
जो गल जाते, गल कर बह जाते पानी में
कम से कम अदालत में पेशी से वापस लौटते
इन क़ैदियों से तमाशा बनने से तो बच जाते
वह साथ थीं वरना इन जालीदार बंद लारियों में
जानवरों की तरह भरकर जेल वापस लौटते कैदियों में से
एक भी मेरी तरफ़ ध्यान नहीं देता
देखता भी नहीं मेरी तरफ़ नज़र उठाकर
वह साथ थीं तभी तो उनके झुंड में से मेरे लिए
एक सामूहिक स्वर उठा क्यों बे लड़की बाज!
उसने दबाते हुए अपनी हँसी मुंह फेर लिया मेरी तरफ़
और मैं अपने सामने अचानक रुक गई
उस लारी में भरे क़ैदियों को अपनी खिल्ली उड़ाते चेहरे देखता रहा
जाली से बाहर झाँकने के लिए एक दूसरे पर चढ़-बैठ रहे
इन क़ैदियों में सभी तरह के अपराधी होंगे
कोई हत्यारा होगा कोई चोर तो कोई लुटेरा
किसी ने किया होगा कहीं कोई गबन
मामूली सा जेबकतरा भी होगा एक न एक ज़रूर
क्या इनमें कोई प्रेमी भी होगा
जो सोच रहा होगा इस वक़्त भी अपनी प्रेमिका के बारे में
कम से कम उसे तो क़ैदियों को हम पर इस तरह
फब्तियाँ कसते देख ज़रूर बुरा लगा होगा
शायद वह उन्हें रोकना भी चाहता होगा
इन क़ैदियों में कोई ऐसा भी होगा जिसने किया होगा
अपने ही बीबी-बच्चों का कत्ल
सबसे पहले कुल्हाड़ी से काटी होगी गहरी नींद में सोती पत्नी की गर्दन
एक-एक कर फिर तीनों बच्चों को सुला दिया होगा
हमेशा के लिए, ओहिर लगा ही ली होगी ख़ुद को फांसी
लेकिन मार नहीं पाया होगा ख़ुद को
सोचता हूँ अब क्या सोचता होगा वह ख़ुद के बारे में
क्या पत्नी की चूडियों की आवाज़ और
बच्चों की किलकारियाँ अब भी गूंजती होंगी उसके कानों में
क्या इन क़ैदियों में कोई जेबकतरा भी होगा ऐसा
जिसने मोटर स्टैंड पर किसी ऐसे आदमी की
काटी होगी जेब जो बूढी माँ की ख़बर मिलने पर
शहर से क़र्ज़ लेकर गाँव जा रहा होगा भागा-भागा
जेब कट जाने पर जो बैठा रह गया होगा वहीं
बसों को आता-जाता देखता
ड्यूटी पर खड़ी पुलिस ने भी बेरुखी के साथ
थाने में रपट लिखाने कह दिया होगा जिससे
इन कैदियों में क्या ऐसे पिता भाई और
चाचा भी शामिल होंगे जिन्होंने पंचायत का फैसला
मानते हुए अपनी ही लड़की को
प्रेमी के साथ उसके लटका दिया होगा पेड़ पर
प्रेम करने के बदले दे दी होगी उसे फांसी
क्या अब यहाँ जेल में वह मासूम सी लड़की और
उसका प्रेमी उनके सपनों में आता होगा,
और क़ैदियों के बीच वे किस तरह करते होंगे
अपनी उस वीरता का बखान
लारियों में भरकर पेशी से कारागार वापस लौटते
इन क़ैदियों में एक चेहरा मेरा भी हो सकता है कभी
फ़िर क्या जो इस वक्त मेरे साथ
बारिश से बचने खड़ी है यहाँ इस छज्जे के नीचे
जो मेरे साथ चाहती है जीना और मरना
जो मेरे साथ देखना चाहती है दुनिया
जो मेरे साथ पढ़ना चाहती है सब
जो मेरे साथ लिखना चाहती है कविता
क्या वह मुझसे मिलने तब-तब आया करेगी
जब-जब जेल से लाया जाएगा मुझे अदालत पेशी पर
क्या वह मुझे लारी में जेल जाते देख बहाया करेगी आँसू
आया करेगी जेल में दरवाज़े तक पीछा करते हुए मेरा
वह जिससे मैं अक्सर कहता हूँ
तुम मुझे अपने मन के दरवाज़े पर कुत्ते की तरह
बंधा रहने देना, भगाना मत कभी
मैं वहां बंधे-बंधे भौंकता रहूंगा
करता रहूंगा तुम्हारी रक्षा सुनता रहूंगा तुम्हारी,
कुत्ते की तरह नहीं वफ़ादार प्रेमी की तरह मरूंगा फिर एक दिन
क्या वह कभी-कभी बनाकर अपने हाथों खाना
टिफ़िन भरकर लाया करेगी मेरे लिए जेल में