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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

जीजा सलहज कि नोक-झोंक
 
  
साल्यो पतली कासूँ पड़गी पीवर बस के
जीज्यो पियो बसे परदेसों फीकर करके
साल्यो तार दूँ या चीठी बुलादुं तडके
जीज्यो मत दे तार चीठी गयो है लडके
जीज्यो गोदी धर ले चाल्यो, चोबारो छोटो
साल्यो बोल मत बोलो जीजो है छोटो
जीज्यो चूंदरी रंगादे कमाई करके
साल्यो बोल मत बोलो जीजो है छोटो
जीज्यो पागडी रंगाले कमाई करके
जीज्यो बाँध क्यों न आवे जमाई बनके।