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"म्हारी गुदली हथेली मं छालो पड़ गयो /राजस्थानी" के अवतरणों में अंतर
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म्हारी गुदली हथेली मं छालो पड़ गयो | म्हारी गुदली हथेली मं छालो पड़ गयो | ||
− | मधुआ म्हारो | + | मधुआ म्हारो जी! |
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मैं पलो नहीं काटूँ सा | मैं पलो नहीं काटूँ सा | ||
− | घास नहीं खूदे से | + | घास नहीं खूदे से महं सूँ |
परले नहीं कटे से | परले नहीं कटे से | ||
म्हारी भोली सूरत | म्हारी भोली सूरत | ||
काली पड़ गी | काली पड़ गी | ||
मधुआ म्हारो जी | मधुआ म्हारो जी | ||
+ | |||
रखड़ी भी ले लो थे | रखड़ी भी ले लो थे | ||
थारी बेगडी भी ले लो | थारी बेगडी भी ले लो | ||
− | म्हाने जेपुरिया | + | म्हाने जेपुरिया लहरयो मंगवादो |
− | जुटड़ा भी ले लेलो | + | मधुआ म्हारो जी! |
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+ | जुटड़ा भी ले लेलो जी | ||
थारा बिछुआ भी ले लो | थारा बिछुआ भी ले लो | ||
म्हाने मधुआपुर सूं घाघरा मंगवादो | म्हाने मधुआपुर सूं घाघरा मंगवादो | ||
− | मधुआ म्हारो जी | + | मधुआ म्हारो जी! |
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14:34, 20 जनवरी 2010 का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
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गौरी की नर्म हथेली पर छाले पड़ गए हैं, वह काम नहीं कर सकती...पर उसे जयपुरिया लहरिया दुपट्टा व मधुपुरिया घाघरा तो चाहिए...
म्हारी गुदली हथेली मं छालो पड़ गयो
मधुआ म्हारो जी!
मैं पलो नहीं काटूँ सा
घास नहीं खूदे से महं सूँ
परले नहीं कटे से
म्हारी भोली सूरत
काली पड़ गी
मधुआ म्हारो जी
रखड़ी भी ले लो थे
थारी बेगडी भी ले लो
म्हाने जेपुरिया लहरयो मंगवादो
मधुआ म्हारो जी!
जुटड़ा भी ले लेलो जी
थारा बिछुआ भी ले लो
म्हाने मधुआपुर सूं घाघरा मंगवादो
मधुआ म्हारो जी!