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"तूँ क्यों रान्याँ का भैय्या! / राजस्थानी" के अवतरणों में अंतर

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थारी तो माँ की जाया  
 
थारी तो माँ की जाया  
 
सासरियो में झूरे राज,  
 
सासरियो में झूरे राज,  
झुरेगो झूर मरे,  
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झूरेगी झूर मरे,  
 
कोई काल्ड़ो काग उडावे राज  
 
कोई काल्ड़ो काग उडावे राज  
 
उड़ रे म्हारो काल्ड़ो कागो,
 
उड़ रे म्हारो काल्ड़ो कागो,

15:46, 23 जनवरी 2010 का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

भाई को बहन से मिलने ससुराल जाने को कहा जा रहा है कि हे भैय्या! तुम्हारी बहन तो ससुराल में फ़िक्र करते हुए कमज़ोर हो गई है जाओ मिल आओ...
 
तूँ क्यों रान्याँ का भैय्या!
नीन्दडली में सूत्याँ राज।
थारी तो माँ की जाया
सासरियो में झूरे राज,
झूरेगी झूर मरे,
कोई काल्ड़ो काग उडावे राज
उड़ रे म्हारो काल्ड़ो कागो,
जे मेरो वीरो आवै राज
आवैगों आधी रात,
पिलंगन ताजन सूती राज
ऊठी छी वीर मिलन,
न टूटयो बाई रो हारो राज
हारो तो फेर पुओसां,
वीरान सूँकद मिल्स्याँ राज,
चुग देगी सोन चिड़ी
और पो देगो बणजारो राज,
कैठे की सोन चिड़ी
न कैठे को बणजारो राज,
दिल्ली की सोन चिड़ी
और जेपुर को बणजारो राज,
के मांगे सोन चिड़ी
और के मांगे बणजारो राज,
घी मांगे सोन चिड़ी
न गुड मांगे बणजारो राज,
घी देस्याँ सोन चिड़ी
और गुड देस्याँ बणजारो राज,
तूं क्यों रायाँ का भैय्या
नीन्दडली में सूत्याँ राज!