भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दुख की जड़ें / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |संग्रह=मछलियाँ देखती हैं सपने / …)
 
(कोई अंतर नहीं)

23:47, 23 जनवरी 2010 के समय का अवतरण

स्त्री के
दुख की जड़े
धँसी होती हैं
इतने गहरे

कि छिपाए रख सकती है
सबसे
उम्र-भर...।