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तारा सिंह

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|कृतियाँ=एक बूँद की प्यासी, सिसक रही दुनिया, एक दीप जला लेना, साँझ भी हुई तो कितनी धुँधली, एक पालकी चार कहार, हम पानी में भी खोजते रंग, रजनी में भी खिली रहूँ किस आस पर, अब तो ठंढी हो चली जीवन की राख, यह जीवन प्रातः समीरण सा लघु है प्रिये, तम की धार पर डोलती जगती की नौका, विषाद नदी से उठ रही ध्वनि, नदिया-स्नेह बूँद सिकता बनती, नगमें हैं मेरे दिल के, यह जग केवल स्वप्न आसार
|विविध=--
|अंग्रेज़ीनाम=Tara Singh
|जीवनी=[[तारा सिंह / परिचय]]
}}