भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नींद / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |संग्रह=मछलियाँ देखती हैं सपने / …)
 
(कोई अंतर नहीं)

00:15, 24 जनवरी 2010 के समय का अवतरण

मैं
पढा़ई पूरी करने के बाद सोऊँगी
सोऊँगी ज़रूर नौकरी मिलने के बाद

पहले विवाह करके घर तो बसा लूँ
भेज तो लूँ बच्चे को स्कूल
पढा़-लिखाकर बना तो दूँ
उसे अफसर
विवाह ही कर दूँ उसका
फिर पोते के साथ खूब सोऊँगी

यही सोचते-सोचते गुज़र गई
तमाम उम्र...

और अब नींद नहीं आती।