भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"साथ-साथ / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |संग्रह=मछलियाँ देखती हैं सपने / …) |
(कोई अंतर नहीं)
|
19:46, 24 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
आओ...
फिर एक बार
मिलकर देखें अक्स
दर्पण में साथ - साथ
कितने बदले तुम
कितने बदले हम
कितने बदले गए हालात...।