भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"प्रेम / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |संग्रह=मछलियाँ देखती हैं सपने / …) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:00, 24 जनवरी 2010 का अवतरण
प्रेम
धरती पर लहलहाती
फसलों जैसा
रेशम-सी कोमल
भाषा जैसा
जिसे सुनती है
ज़मीन।