भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"प्रेम / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |संग्रह=मछलियाँ देखती हैं सपने / …) |
|||
पंक्ति 12: | पंक्ति 12: | ||
रेशम-सी कोमल | रेशम-सी कोमल | ||
भाषा जैसा | भाषा जैसा | ||
− | |||
जिसे सुनती है | जिसे सुनती है | ||
ज़मीन। | ज़मीन। | ||
</poem> | </poem> |
20:02, 24 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
प्रेम
धरती पर लहलहाती
फसलों जैसा
रेशम-सी कोमल
भाषा जैसा
जिसे सुनती है
ज़मीन।