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"प्रेम ख़त्म नहीं होता / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर
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प्रेम
ख़त्म नहीं होता
कभी...
दुःख
उदासी
थकान
अकेलेपन को
थोडा़ और बढा़कर
ज़िन्दा रहता है...।