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|रचनाकार=मनीषा पांडेय|संग्रह=
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पुरानी यादें
 
ठहरे हुए पानी की तरह
 
सड़ती हैं
 
अटकती हैं साँस रात भर
 
रातें गुज़रती हैं मुश्किल से
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