भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बहुत गुमनामों में शामिल एक नाम अपना भी है / अमित" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 9: पंक्ति 9:
  
 
गौर करने के लिये भी कुछ न कुछ मिल जायेगा
 
गौर करने के लिये भी कुछ न कुछ मिल जायेगा
हाले-दिल पर हक़ के बातिल<ref>सच या झूठ</ref> इक कलाम<ref>वाणी या वचन</ref अपना भी है
+
हाले-दिल पर हक़ के बातिल<ref>सच या झूठ</ref> इक कलाम<ref>वाणी या वचन</ref> अपना भी है
  
 
मेहरबाँ<ref>दयालु</ref> भी हैं बहुत और कद्रदाँ<ref>गुणग्राहक</ref> भी हैं बहुत
 
मेहरबाँ<ref>दयालु</ref> भी हैं बहुत और कद्रदाँ<ref>गुणग्राहक</ref> भी हैं बहुत

21:04, 28 जनवरी 2010 के समय का अवतरण

बहुत गुमनामों में शामिल एक नाम अपना भी है
इल्मे-नाकामी<ref>असफलता की विद्या</ref> में हासिल इक मक़ाम<ref>स्थान</ref> अपना भी है

गौर करने के लिये भी कुछ न कुछ मिल जायेगा
हाले-दिल पर हक़ के बातिल<ref>सच या झूठ</ref> इक कलाम<ref>वाणी या वचन</ref> अपना भी है

मेहरबाँ<ref>दयालु</ref> भी हैं बहुत और कद्रदाँ<ref>गुणग्राहक</ref> भी हैं बहुत
हो कभी ज़र्रानवाज़ी<ref>दीनदयालुता</ref> इन्तेजाम अपना भी है

कब हुज़ूरे-वक़्त को फ़ुरसत मिलेगी देखिये
मुश्त-ए-दरबान<ref>दरबान की मुट्ठी</ref> तक पहुँचा सलाम अपना भी है

चलिये मैं भी साथ चलता हूँ सफ़र कट जायेगा
आप की तक़रीर<ref>भाषण या उपदेश</ref> के पहले पयाम<ref>संदेश</ref> अपना भी है

इक परिन्दे की तरह बस आबो-दाने<ref>अन्न-जल</ref> की तलाश
जिन्दगी का यह तरीका सुबहो-शाम अपना भी है

घर की चौखट तक मेरा ही हुक़्म चलता है ’अमित’
मिल्कीयत<ref>जायेदाद</ref> छोटी सही लेकिन निज़ाम<ref>शासनव्यवस्था या प्रबन्धतन्त्र</ref> अपना भी है

शब्दार्थ
<references/>