भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"छोटा बच्चा रोता है / मुकेश जैन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: छोटा बच्चा रोता है<br /> उसको भूख लगी है<br /> घंटों चढ़ी पतीली<br /> कब उतर…)
 
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
छोटा बच्चा रोता है<br />
+
{{KKGlobal}}
उसको भूख लगी है<br />
+
{{KKRachna
घंटों चढ़ी पतीली<br />
+
|रचनाकार=मुकेश जैन
कब उतरेगी<br />
+
|संग्रह=
चूल्हे की न-आगी भी<br />
+
}}
शान्त हो चुकी कब की<br />
+
{{KKCatKavita}}
अम्मा, मुन्ने को क्यो भरमाती हो.<br />
+
<poem>
अम्मा कहती<br />
+
छोटा बच्चा रोता है  
आ जाने दो उसका बाबा<br />
+
उसको भूख लगी है
वह शायद कुछ गेहूँ लाये<br />
+
घंटों चढ़ी पतीली  
सुबह जब वह निकला था<br />
+
कब उतरेगी  
सट्टे पर बीड़ी देने<br />
+
चूल्हे की न-आगी भी
मैने उसको जता दिया था<br />
+
शान्त हो चुकी कब की  
घर में नहीं है इक दाना गेहूँ,<br />
+
अम्मा, मुन्ने को क्यो भरमाती हो।
वह आया नशे में धुत्त<br />
+
गाली बकता<br />
+
अम्मा कहती
साली इत्ती-सी बीड़ी बनाती<br />
+
आ जाने दो उसका बाबा  
मेरी पूरी भी दारू नहीं आती<br /> 
+
वह शायद कुछ गेहूँ लाए
पिटती अम्मा<br />
+
सुबह जब वह निकला था  
अपना भाग्य कोसा करती<br />
+
सट्टे पर बीड़ी देने  
फिर, आधी रात तक<br />
+
मैने उसको जता दिया था  
उसकी ऊँगलियाँ सूपे पर चलती रहतीं  
+
घर में नहीं है इक दाना गेहूँ,
 +
 +
वह आया नशे में धुत्त  
 +
गाली बकता-
 +
साली इत्ती-सी बीड़ी बनाती  
 +
मेरी पूरी भी दारू नहीं आती
 +
 
 +
पिटती अम्मा  
 +
अपना भाग्य कोसा करती  
 +
फिर, आधी रात तक  
 +
उसकी उँगलियाँ सूपे पर चलती रहतीं  
  
बच्चा रोता<br />
+
बच्चा रोता  
पानी पी कर सो जाता है .
+
पानी पी कर सो जाता है।
'''रचनाकाल''':  16/अप्रेल/1988
+
 
 +
 
 +
'''रचनाकाल''' :  16 अप्रेल 1988

20:45, 30 जनवरी 2010 के समय का अवतरण

छोटा बच्चा रोता है
उसको भूख लगी है
घंटों चढ़ी पतीली
कब उतरेगी
चूल्हे की न-आगी भी
शान्त हो चुकी कब की
अम्मा, मुन्ने को क्यो भरमाती हो।
 
अम्मा कहती
आ जाने दो उसका बाबा
वह शायद कुछ गेहूँ लाए
सुबह जब वह निकला था
सट्टे पर बीड़ी देने
मैने उसको जता दिया था
घर में नहीं है इक दाना गेहूँ,
 
वह आया नशे में धुत्त
गाली बकता-
साली इत्ती-सी बीड़ी बनाती
मेरी पूरी भी दारू नहीं आती
  
पिटती अम्मा
अपना भाग्य कोसा करती
फिर, आधी रात तक
उसकी उँगलियाँ सूपे पर चलती रहतीं

बच्चा रोता
पानी पी कर सो जाता है।


रचनाकाल : 16 अप्रेल 1988