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"पुकारता चला हूँ मै / मेरे सनम" के अवतरणों में अंतर

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पुकारता चला हूँ मै,
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पुकारता चला हूँ मैं,
 
गली-गली बहार की,
 
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बस, एक छाँव जुल्फ़ की,
 
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बस, एक निगाह प्यार की,
 
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पुकारता चला हँ मै,
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गली-गली बहार की,
 
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बस, एक छाँव जुल्फ़ की,
 
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बस एक निगाह प्यार की,
 
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पुकारता चला हूँ मैं,
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ये दिल्लगी ये शोखियाँ सलाम की,
 
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यही तो बात हो रही है काम की,
 
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कोई तो मुड़ के देख लेगा इस तरह,
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कोई नज़र तो होगी मेरे नाम की,
  
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पुकारता चला हूँ मैं,
 
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कोइ नज़र तो होगी मेरे नाम की,
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गली-गली बहार की,
 
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बस, एक छाँव जुल्फ़ की,
 
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बस, एक निगाह प्यार की,
 
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पुकारता चला हूँ मैं,
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सुनी मेरी सदा तो किस यकीन से?
 
सुनी मेरी सदा तो किस यकीन से?
 
 
घटा उतर के आ गयी ज़मीन पे,
 
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रही यही लगन तो ऎ दिल-ए-जवाँ,
रही यही लगन तो ऎ दिले जवाँ,
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असर भी हो रहेगा एक हसीन पे,
 
असर भी हो रहेगा एक हसीन पे,
  
पुकारता चला हूँ मै,
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गली-गली बहार की,
 
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बस, एक छाँव जुल्फ़ की,
 
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बस, एक निगाह प्यार की,
 
बस, एक निगाह प्यार की,
 
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पुकारता चला हूँ मैं।
पुकारता चला हूँ मै।
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20:42, 1 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण

पुकारता चला हूँ मैं,
गली-गली बहार की,
बस, एक छाँव जुल्फ़ की,
बस, एक निगाह प्यार की,

पुकारता चला हूँ मैं,
गली-गली बहार की,
बस, एक छाँव जुल्फ़ की,
बस एक निगाह प्यार की,
पुकारता चला हूँ मैं,

ये दिल्लगी ये शोखियाँ सलाम की,
यही तो बात हो रही है काम की,
कोई तो मुड़ के देख लेगा इस तरह,
कोई नज़र तो होगी मेरे नाम की,

पुकारता चला हूँ मैं,
गली-गली बहार की,
बस, एक छाँव जुल्फ़ की,
बस, एक निगाह प्यार की,
पुकारता चला हूँ मैं,

सुनी मेरी सदा तो किस यकीन से?
घटा उतर के आ गयी ज़मीन पे,
रही यही लगन तो ऎ दिल-ए-जवाँ,
असर भी हो रहेगा एक हसीन पे,

पुकारता चला हूँ मैं,
गली-गली बहार की,
बस, एक छाँव जुल्फ़ की,
बस, एक निगाह प्यार की,
पुकारता चला हूँ मैं।