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"झाड़ू की नीतिकथा / राजेश जोशी" के अवतरणों में अंतर

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'''झाडू की नीति कथा'''
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झाडू बहुत सुबह जाग जाती है<br\>
 
झाडू बहुत सुबह जाग जाती है<br\>
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’कचरा बुहारने की चीज है घबराने की नहीं<br\>
 
’कचरा बुहारने की चीज है घबराने की नहीं<br\>
 
कि अब भी बनाई जा सकती हैं जगहें<br\>
 
कि अब भी बनाई जा सकती हैं जगहें<br\>
                      रहने के लायक.’
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रहने के लायक.’
  
 
० जून १९९०
 
० जून १९९०

21:48, 3 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण

झाडू बहुत सुबह जाग जाती है<br\> और शुरू कर देती है अपना काम

बुहारते हुए अपनी अटपटी भाषा में<br\> वह लगातार बड़बड़ाती है<br\> ’कचरा बुहारने की चीज है घबराने की नहीं<br\> कि अब भी बनाई जा सकती हैं जगहें<br\> रहने के लायक.’

० जून १९९०