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"इस क्षण / ओम प्रभाकर" के अवतरणों में अंतर
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जमकर पत्थर है हर पल। | जमकर पत्थर है हर पल। | ||
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01:44, 4 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
इस क्षण यहाँ शान्त है जल।
पेड़ गड़े हैं,
घास जड़ी।
हवा सामने के खँडहर में
मरी पड़ी।
नहीं कहीं कोई हलचल।
याद तुम्हारी,
अपना बोध।
कहीं अतल में जा डूबे हैं
सारे शोध।
जमकर पत्थर है हर पल।